ब्यावर का मुक्ति धाम

Jagdish Sharma

मानव सेवा परम धर्म : मुक्ति धाम

संकलनकर्ता जगदीश शर्मा, कलयुग में ज्योति के सौजन्य से, प्रेस फोटो पवन जैन

मनुष्य पैदा होने के लेकर जवान होने तक अनेक क्रियाओं में लिप्त रहता है, जिसमें भलाई, बुराई सभी प्रकार की क्रियाऐं शामिल हैं ।

राजा हो या रंक, पापी हो या धर्मी सभी को मौक्ष को प्राप्त होना पड़ता है इस बात को भुला नहीं सकता, अंत में अपने शरीर से प्राण त्यागने ही पड़ते हैं । उसे पंच तत्व (पृथ्वी, आकाश, जल, अग्नि, वायु) में विलिन किया जाता है ।

पूरे भारतवर्ष में जामनगर (गुजरात) के बाद अजमेर जिले के ब्यावर शहर में ही एकमात्र सभी सुविधाओं से युक्त मुक्तिधाम है । जिसमें मनुष्य अपनी अंतिम यात्रा पूर्ण के पंच तत्त्व में विलीन हो जाता है । सन् १९८४ में मात्र १५ व्यक्तियों ने इस मुक्तिधाम को साकार रूप देने का प्रयास किया । ये सभी व्यक्ति स्व. श्री रवीदत्त जी वैद्य की अंतिम यात्रा में शामिल थे, उनकी अंतिम यात्रा के पश्‍चात शमशान स्थल पर विचार विमर्श हुआ एवम् मुक्तिधाम को सम्पूर्ण सुविधाओं से युक्त करने का फैसला किया । इसी प्रयास को साकार रूप प्रधान करने के लिए सन् १९८४ में जन सतर्कता समिती ब्यावर एक का एक उपवेषण चम्पानगर उच्‍च प्राथमिक विद्यालय के प्रांगण में रखा गया था। जिसमें निम्‍न गणमान्य व्यक्ति थे : श्री प्रतापभानु खण्डेलवाल, प्रयागदास टावरी, ओमप्रकाश झंवर, आनन्‍द मोहन शर्मा, धर्मचन्द मोदी, जयनारायण सोमानी और श्री भैरूलाल शर्मा आदि इसी अनुक्रम में २६‍-७-१९८४ को श्री शिवनाथ राधाकिशन सोमानी की दुकान पर नगर के सम्‍भ्रांत महानुभावों का एक उपवेषण बुलाया गया जिसमें सर्व श्री जयनारायण जाजू, प्रयागदास टावरी, धर्मचंद मोदी, रामकुमार बियानी, आत्माराम जिंदल, बालकिशन राठी, जयनारायण सोमानी, कन्हैयालाल हैड़ा, ओमप्रकाश झंवर, प्रतापभानु खण्डेलवाल, शांतिलाल शाह, फतेहसिंह मेड़तवाल, आदि की उपस्थिती में सर्व सम्मति से मुक्तिधाम नामक एक समिति गठित की जिसके १५ सदस्य नियुक्त किये गये । विधान निर्माण हेतु एक उपसमिति का गठन किया गया । इस उपसमिति के विधान के प्रारूप को हरिप्रसाद जी गर्ग, पारसमल जी काँस्टिया एवम् पुखराज जी ओस्तवाल से परामर्श कर अंतिम रूप दिया गया । इसी अनुक्रम में २-१०-१९८४ को उपवेशण में मुक्तिधाम सेवा समिति के स्थान पर इसका नाम हिन्‍दू सेवा मंडल रखने का तथा विधान को स्वीकृति करने का प्रस्ताव पारित किया गया ।

हिन्‍दू सेवा मंडल के सदस्यों के अथक प्रयासों के तहत नगर परिषद द्वारा अनुबंध में समिति को ५ बीगा १७ बिसवा भूमि का आवंटन किया गया । इस भूमि पर हिन्‍दू सेवा मंडल द्वारा स्वयं, जनता के सहयोग से स्‍नान घर, लकड़ी गोदाम, कर्मकाण्ड वास्ते भवन, वाचनालय, मंदिर, बाग-बगीचा एवम् ठण्‍डे पानी की प्याऊ का निर्माण कराया गया । मंडल द्वारा लगाया एक छोटा सा पौधा एक विशाल छायादार वृक्ष बन गया है जिसकी शीतल छाया मे् अंतिमयात्रा में शामिल होने वाले व्यक्ति दिवंगत आत्मा की शांति हेतु प्रार्थना के सकते हैं । ये सत्य भी है कि पूरे भारतवर्ष मे् हिन्‍दू सेवा मंडल द्वारा संचालित यस मुक्तिधाम सम्पूर्ण सुविधा से युक्त ब्यावर शहर में है । इस मुक्तिधाम के पास भेरूंजी का मंदिर, शिव मंदिर, हनुमानजी का मंदिर, ख्वाहिश बाबा का मंदिर, बांयांसा का मंदिर (सात बहनों), काली माता का मंदिर इस धाम के आस-पास आते हैं । मुक्तिधाम में शिव मंदिर का निर्माण दानवीर सेठ श्री माणकचन्दजी बर्तन वाले फर्म बलदेवदास पूरणमल द्वारा काफी धन लगा कर मंदिर का निर्माण कराया जिसमें प्रातः व साँयकाल पाठपूजा व बिजली द्वारा संचालित नगाड़ों की थाप पर महादेवजी की आरती की जाती है । इसी प्रकार शहर के जाने माने सम्भ्रांत नागरिक एवम् तम्बाकू विक्रेता सेठ श्री मिश्रीलाल जी गोरधनलालजी अरोड़ा की स्मृति में एक विशाल व भव्य ज्ञान मंदिर (वाचनालय) का निर्माण कराया गया । इस ज्ञान मंदिर में सभी प्रकार की धार्मिक पुस्तकें व समाचार पत्र उपलब्ध हैं । यहाँ पर स्थित भैरूंजी के मंदिर की जितनी व्याख्या की जाये उतनी कम है, क्योंकि उस मंदिर की मान्यता का बखान करने हेतु मेरे पास शब्द नहीं हैं । इस धाम में दिन भर भक्ति संगीत की मधुर धुन पूरे श्मशान स्थल तक गूंजती रहती है अर्थात भक्तिमय वातावरण में मनुष्य को पंच तत्त्वों के अधीन के दिया जाता है । इस मुक्तिधाम में सबसे बड़ी सुविधा स्‍नान की है । यहाँ पर कुल लगभग ८० नल हैं, जिसमें पुरूषों एवम् महिलाओं हेतु अलग अलग व्यवस्था है, जहाँ पर पुरूष व महिलाएं अलग अलग स्‍नान कर सकती हैं । इन नलों में दो बड़े हैंडपम्पों से तीन बड़े टैंकरों द्वारा आता है, जो हमेशा भरे रहते हैं । यहाँ मौसम के अनुसार ठंडे व गर्म पानी से नहाने व पीने की व्यवस्था है । मुक्तिधाम में अर्थी उठाने से लेकर, अंतिम संस्कार, क्रिया कर्म करने, अस्थियाँ बीनने, उन्हें रखने एवम् हवन आदि कार्य करने के लिए हर समान उपलब्ध रहता है जिसकी देखरेख हेतु मैनेजर सहित छः व्यक्तियों की नियुक्ति मंडल द्वारा की गई है, जिसमें सभी का व्यवहार स्‍नेहमय व मधुर रहता है जो हमेशा आपकी मदद करने के लिए तैयार रहते हैं । हिन्‍दू सेवा मण्डल द्वारा चांग गेट बाहर भी एक सम्पूर्ण सुविधा से युक्त महिला स्‍नान गृह का निर्माण कराया गया है । हिन्‍दू सेवा मंडल में लगभग ८०० सदस्यों ने अपना सहयोग प्रदान किया जिसकी वजह से पूरे भारतवर्ष में ब्यावर का मुक्तिधाम अलग ही अपनी छवि बनाये हुए हैं ।

इस मंडल के पडधाधिकारियों का व्यवहार भी मधुर स्‍नेहमयी होने के कारण शहर के किसी भी सज्जन को इस मंडल के प्रति कोई गलत भावना नहीं है, सभी निशुल्क निस्वार्थभाव से सेवा करने में लगे रहते हैं । इस मुक्तिधाम में सभी सुविधाएं सभी के लिए निशुल्क उपलब्ध रहती हैं । व्यक्ति अपनी इच्छानुसार मुक्तिधाम में दान प्रदान कर सकता है, दानदाताओं को आयकर अधिनियम की धारा ८० (जी) के तहत कर मुक्त छूट दी जाती है । यह सर्वविदित है कि ब्यावर का मुक्तिधाम सबसे बेहतर है । यहाँ पर कई दानदाताओं द्वारा भव्य द्वार, सुंदर बगीचे, क्यारियाँ बनवाके विकास के नये आयाम प्रस्तुत किये हैं । उक्त जानकारी समाज सेवी श्री मदन मोहन मोदी जी ने दी, आँकड़े हिन्‍दू सेवा मंडल, ब्यावर विवरणिका १९९० पुस्तक से प्राप्त किये गये ।

प्रेरणा - मदन मोहन मोदी